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जितने में मरम्मत होगी Electric Car, उतने में आ जाएगी नई गाड़ी, जानें वजह

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इन दिनों Electric Car को लेकर देश में बेहतर माहौल बना हुआ है, पेट्रोल-डीजल कार की अपेक्षा से तेजी से इलेक्ट्रिक कार का मार्केट बढ़ रहा है. जिस तरफ देखो या तो लोग इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने की चर्चे कर रहे हैं या प्लानिंग कर रहे हैं।

इसी बीच ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें बताया गया है कि इलेक्ट्रिक गाड़ी डिस्पोजेबल बन गई हैं!! दरअसल इलेक्ट्रिक गाड़ी को ठीक कराने की जगह यूजर्स नई गाड़ी खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। नई गाड़ी ख़रीदे भी क्यों नहीं, कारों की मरम्मत कराना ज्यादा महंगा पड़ता है। इस वजह से बीमा कंपनियां अब 20% से ज्यादा वाहनों को राइट ऑफ कर रही हैं।

क्या अब Electric Car का डिस्पोजेबल होना आम हो गया है?

अमेरिकी बीमा कंपनियों के डेटा के अनुसार, इसका जवाब कुछ हद तक हां हो सकता है। आधुनिक कारें कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से सुसज्जित हैं, जो हादसों से बचाने या नुकसान को कम करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। लेकिन इनमें एक समस्या है: इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में टूट-फूट ज्यादा होती है।

कारों की मरम्मत कराना अब महंगा पड़ता है, इसलिए बीमा कंपनियां अब 20% से ज्यादा वाहनों को राइट ऑफ कर रही हैं। यह अब तक का रिकॉर्ड है और 1980 की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि डिस्पोजेबल कारों का अनुपात और बढ़ सकता है, क्योंकि इस प्रकार की कारों की संख्या बढ़ रही है।

Electric Car की मरम्मत में खर्च

कारों में कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बाहरी हिस्सों में स्थित होते हैं, जो दुर्घटनाओं में आसानी से टूट सकते हैं। जैसे कैमरे वाले साइड मिरर बाहर लगे होते हैं। एक ऐसे मिरर को बदलने का खर्च ही डेढ़ लाख रुपए है। वहीं, पिछले दो दशकों में अमेरिकी सड़कों पर कारों की औसत आयु 10 साल से बढ़कर 12.5 साल हो गई है। लेकिन दुर्घटना होने पर ये अक्सर मरम्मत के लायक नहीं होती हैं। मरम्मत खर्च में 50% की बढ़ोतरी हुई है।

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इलेक्ट्रिक कारों के डिस्पोजेबल होने का एक मुख्य कारन इनकी बैटरी भी है, अगर बैटरी ख़राब हो जाये तो इसे रिप्लेस करने में 50% से ज़्यादा का खर्च आ जाता है। यूजर्स रिप्लेस करने की जगह नई कार लेना पसंद कर रहे हैं।